भौतिक विज्ञान
भौतिकी प्राकृतिक विज्ञान की वह शाखा है जिसमें द्रव्य (matter) तथा ऊर्जा ( energy) और उसकी परस्पर क्रियाओं का अध्ययन होता है। भौतिकी प्राकृतिक जगत का मूल विज्ञान है, क्योंकि विज्ञान की अन्य शाखाओं का विकास भौतिकी के ज्ञान पर बहुत हद तक निर्भर करता है ।
3. कार्य, ऊर्जा एवं शक्ति.
कार्य (Work): कार्य की माप लगाये गये बल तथा बल की दिशा में वस्तु के विस्थापन के गुणनफल के बराबर होता है। कार्य एक अदिश राशि है; इसका S. I मात्रक जूल है ।
नोट : यदि बल F तथा विस्थापन S के मध्य 0 कोण बनता है, तो—
ऊर्जा (Energy): किसी वस्तु की कार्य करने की क्षमता को उस वस्तु की ऊर्जा कहते हैं । ऊर्जा एक अदिश राशि है, इसका SI मात्रक जूल है ।
> कार्य द्वारा प्राप्त ऊर्जा यांत्रिक ऊर्जा कहलाती है, जो दो प्रकार की होती है—
(i) गतिज ऊर्जा (ii) स्थितिज ऊर्जा |
गतिज ऊर्जा (Kinetic Energy): किसी वस्तु में उसकी गति के कारण कार्य करने की जो क्षमता आ जाती है, उसे उस वस्तु की गतिज ऊर्जा कहते हैं । यदि m द्रव्यमान की वस्तु वेग से चल रही हो, तो गतिज ऊर्जा (KE) होगी-
स्थितिज ऊर्जा (Potential energy): जब किसी वस्तु में विशेष अवस्था (State) या स्थिति के कारण कार्य करने की क्षमता आ जाती है, तो उसे स्थितिज ऊर्जा कहते हैं, जैसे :- बाँध बनाकर इकट्ठा किये गये पानी की ऊर्जा, घड़ी की चाभी में संचित ऊर्जा, तनी हुई स्प्रिंग या कमानी की ऊर्जा । गुरुत्व बल के विरुद्ध संचित स्थितिज ऊर्जा का व्यंजक है-
- P.E. = mgh जहाँ m = द्रव्यमान, 8 - गुरुत्वजनित त्वरण, h = ऊँचाई
ऊर्जा संरक्षण का नियम (Law of Conservation of Energy ) : ऊर्जा न तो उत्पन्न की जा सकती है और न नष्ट की जा सकती है। ऊर्जा केवल एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित की जा सकती है। जब भी ऊर्जा किसी रूप में लुप्त होती है तब ठीक उतनी ही ऊर्जा अन्य रूपों में प्रकट होती है। अतः विश्व की सम्पूर्ण ऊर्जा का परिमाण स्थिर रहता है। यह ऊर्जा संरक्षण का नियम कहलाता है ।
ऊर्जा रूपांतरित करने वाले कुछ उपकरण:-
| Sr. |
उपकरण |
ऊर्जा का रूपान्तरण |
| 1 |
डायनेमो |
यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में |
| 2 |
मोमबत्ती |
रासायनिक ऊर्जा को प्रकाश एवं ऊष्मा ऊर्जा में |
| 3 |
माइक्रोफोन |
ध्वनि ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में |
| 4 |
लाऊडस्पीकर |
विद्युत् ऊर्जा को ध्वनि ऊर्जा में |
| 5 |
सोलर सेल |
सौर ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में |
| 6 |
ट्यूब लाइट |
विद्युत् ऊर्जा को प्रकाश ऊर्जा में |
| 7 |
विद्युत् मोटर |
विद्युत् ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में |
| 8 |
विद्युत् बल्ब |
विद्युत् ऊर्जा को प्रकाश एवं ऊष्मा ऊर्जा में |
| 9 |
विद्युत् सेल |
रासायनिक ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में |
| 10 |
सितार |
यांत्रिक ऊर्जा को ध्वनि ऊर्जा में |
संवेग एवं गतिज ऊर्जा में संबंध : -
- KE = P2 / 2 जहाँ P (संवेग) = mv
अर्थात् संवेग को दुगुना करने पर गतिज ऊर्जा चार गुनी हो जायेगी ।
शक्ति (Power) : कार्य करने की दर को शक्ति कहते हैं। यदि किसी कर्ता द्वारा W कार्य होगी t समय में किया जाता है, तो कर्ता की शक्ति w / t होंगी, शक्ति का SI मात्रक वाट (W) है। जिसे वैज्ञानिक जेम्स वाट के सम्मान में रखा गया है।
शक्ति =समयकार्य =सेकंडजूल= वाट
* शक्ति की एक और मात्रक अश्व शक्ति है।
- 1 अश्व शक्ति (H.P.) = 746 W
वाट सेकण्ड (Ws) :
- 1 वाट - सेकण्ड = 1 वाट x 1 सेकण्ड = 1 जूल
- 1 वाट घंटा (Wh) = 3600 जूल
- 1 किलोवाट घंटा = 1000 वाट घंटा = 3-6 × 10° जूल
W, kW, MW तथा H.P. शक्ति के मात्रक है।
Ws, Wh, kWh कार्य अथवा ऊर्जा के मात्रक है।